Sunday, August 28, 2011


दर्द को भी दर्द होने लगा,
दर्द ख़ुद ही मेरे घाव धोने लगा,
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर
ख़ुद रोने लगा !

36 comments:

Anupama Tripathi said...

दर्द भरे दिल के खूबसूरत उद्गार......सुंदर पंक्तियाँ......!!

Bharat Bhushan said...

वाह..वाह..दर्द को इतने सुंदर नए रूप में पहली बार देखा है. जितनी तारीफ की जाए कम है.

Irfanuddin said...

दर्द को भी दर्द होने लगा.....its So meaningful

केवल राम said...

दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !

यह दर्द भी क्या अजीब है .....बस दर्द है .....!

virendra sharma said...

ऐसा ही लगता अन्ना बबली जी ,, , , लफडा तो अब इन तोतों के साथ ही हो गया . ,हो सकता है इन्हें पौराणिक कपिल मुनि की सचमुच आवाजें ही सुनाई दे रहीं हों ,ऑडियो हेल्युसिनेशन हो रहें हों ,दुचित्ता और दुरंगा तो यह आदमी है ही ,आदमी का आदमी जोगी का जोगी ,जासूस का जासूस ,हद तो यह है कोंग्रेस में तोतों के भी आगे तोते होतें हैं ,कुछ प्राधिकृत तोतें हैं जो गाली गुफार में माहिर हैं .पहले ऐसे तोतों को वैश्या के तोते कहा जाता था ,अब ये हाई कमान के तोते कहातें हैं ,गौरवानित होतें हैं .वेदांगी का तोता मन्त्र जाप करता था .राजनीति का जालसाजी .आपकी ब्लोगिया हाजिरी के लिए आभार ,७५ %तो हमारी भी होंगी "आपके ब्लॉग पर ।
बेहतरीन अशआर है इस बार बबली जी -

दर्द को भी दर्द होने लगा,
दर्द ख़ुद ही मेरे घाव धोने लगा,
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !

vidhya said...

क्या बात है बबली बहुत अच्छा

सदा said...

दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
गहरे उतरते शब्‍द ...बहुत खूब ।

Anju (Anu) Chaudhary said...

waha bahut khub

SACCHAI said...

" dard ko kafhi khubsurti e bandha hai aapne kagaj par ..gaherai se bhari .."

Dr (Miss) Sharad Singh said...

मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....बहुत सुंदर...

Kunwar Kusumesh said...

दर्द को भी दर्द. oh,how pathetic.

अजय कुमार said...

'dard' par sundar rachana

kshama said...

Kya khoob likhatee ho!

Manish Khedawat said...

bahut khoob

सुधीर राघव said...

एक-एक शब्द गहराई लिए है। बधाई

Rakesh Kumar said...

बबली जी,कहाँ छिपा रक्खा है आपने इतने दर्द को.
जितना उंडेलती हो,उतना और बढ़ आता है.
ये दर्द का रोना भी कमाल का है.
रो रो कर बेहाल है यह तो.
जरा संभालिए इसे अब तो.

Anonymous said...

aap vidas me hokar bhi apni sanskriti nahi bhuli,
you are great indian, nice post

Rajesh Kumari said...

vaah kya baat kahi hai.

BK Chowla, said...

I have always maintained that every word you pen is so meaningful.

upendra shukla said...

बहुत ही अच्छा नगमा मज़ा आ गया
सम्राट बुंदेलखंड ब्लॉग

ताऊ रामपुरिया said...

दर्द को भी दर्द होने लगा, और जब दर्द खुद ही रोने लगे तो दर्द की गहराई साफ़ अभिव्यक्त हो रही है, बहुत ही लाजवाब.

रामराम.

सहज साहित्य said...

पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
उर्मि जी आपने कितनी गहरी बात कितने सौन्दर्य के साथ कह दी है , कोई जवाब नहीं । बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! बहुत बधाई !!

Rajeysha said...

चारों तरफ दर्द ही दर्द बि‍खरा है
पढ़ि‍ये नई कवि‍ता : कवि‍ता का वि‍षय

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

ओह, बबली जी, आपके कलम से तो आजकल गजब के भाव निकल रहे हैं ... बहुत ही सुन्दर कविता !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

दर्द मुझे छूकर ख़ुद रोने लगा...
वाह वाह... क्या बात है...
सादर बधाई...

hamaarethoughts.com said...

Wah..
muhjhe choo kar Dard roone laga..
Kayal ho gye iss line pe!
:)
excellent

ashok andrey said...

dard ki bahut sundar vayakhya ki hai aapne chand shabdon men.babli jee aapki is sundar rachna ke liye meri aur se badhai.

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति,

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

दर्द का दरद साफ़ दिख रहा है इस शायरी में!

Dr Varsha Singh said...

दर्द को भी दर्द होने लगा,
दर्द ख़ुद ही मेरे घाव धोने लगा,
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !

इस रचना का सूफ़ियाना रंग लाजवाब है।बहुत खूब ।


आपको एवं आपके परिवार को ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

amrendra "amar" said...

बहुत सुन्दर रचना , सार्थक सृजन , बधाई

Neelkamal Vaishnaw said...

बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......

आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब ... दर्द को भी दर्द होने लगा ..

amita kaundal said...

bahut sunder likha hai urmi ji
saadar,
amita kaundal

Udan Tashtari said...

क्या बात है...

Unknown said...

बाद मुद्दत के मिले वो ,चेहरा वही मिला
होठों पे मगर उसके वो सुर्खियाँ न थीं
पहचान तो लिया था मुझे मुह फेरने से पहले
आँखों में मगर उसके वो शोखियाँ न थी
http://jeetrohann1.blogspot.com/